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मुंबई: बॉलीवुड में यश चोपड़ा को एक ऐसे फिल्मकार के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने रोमांटिक फिल्मों के जरिये दर्शकों के बीच अपनी खास पहचान बनाई। 27 सितंबर 1932 को लाहौर, पंजाब में जन्मे यश चोपड़ा के बड़े भाई बी.आर. चोपड़ा फिल्म इंडस्ट्री के जाने-माने निर्माता-निर्देशक थे। अपने करियर के शुरुआती दौर में यश चोपड़ा ने आई.एस.जौहर के सहायक के रूप में काम किया। आइए इस खास मौके पर जानते हैं यश चोपड़ा से जुड़ा एक बेहद दिलचस्प किस्सा…
ऐसे हुई यशराज फिल्म्स की स्थापना
कहानी बिलकुल यश चोपड़ा की साल 1973 में बनी फिल्म ‘दाग’ के स्टाइल में घटी। ‘दाग का हीरो सुनील (राजेश खन्ना) अपनी नवविवाहिता पत्नी सोनिया (शर्मीला टैगोर) के साथ हनीमून मनाने विदेश जाते हैं और वहां से लौटने के बाद परिवार से अलग होने का फैसला कर लेते है। यश चोपड़ा ने भी बीआर चोपड़ा के साथ यही किया। अपनी शादी के बाद वे हनीमून मानाने स्विजरलैंड गए और वहां से जब वापस लौटे, तो उन्होंने अपने बड़े भाई के बैनर बीआर फिल्म से खुद अलग कर यशराज फिल्म की स्थापना की।
इंजीनियर की जगह बने रोमांटिक फिल्मों के बादशाह
इस घटना ने बीआर के सपनो को चूर-चूर कर दिया। क्योंकि वे अपने परिवार को जीते जी दो धड़ो में बंटते नहीं देखना चाहते थे। यशजी को सीनियर चोपड़ा बेइंतहा प्यार करते थे। वो उन्हें इंजीनियर बनाना चाहते थे। लेकिन यश जी की रोमांटिक कल्पना इतनी सधी हुई थी कि बीआर चोपड़ा ने उन्हें फिल्मों में लाना ही बेहतर समझा।
बीआर चोपड़ा ने दांव पर लगाए करोड़ो रुपए
उन्होंने यश चोपड़ा को न केवल फिल्म विधा का पाठ पढ़ाया, बल्कि उन्हें यहां स्थापित करने के लिए करोड़ो रुपये का दांव पर लगाकर फिल्में भी बनाई।बीआर चोपड़ा ने जब यश चोपड़ा को ‘धूल का फूल’ में निर्देशन का पहला अवसर दिया, तो फिल्म की अलग थीम के कारण लोगो ने यहां तक घोषणा कर दी की यह बीआर फिल्म की आखिरी फिल्म होगी। निर्देशक के रूप में यश चोपड़ा का नाम आने के बाद वितरकों ने भी फिल्म से हाथ खींच लिये। एक बोल्ड फिल्म बनाने के लिए डिस्ट्रीब्यूटर बीआर चोपड़ा जैसे अनुभवी निदेर्शक पर तो विश्वास कर सकते थे, लेकिन यशजी पर भरोसा करने को कतई तैयार नहीं थे, पर बीआर चोपड़ा टस से मस नहीं हुए। यह फिल्म उनकी भावनाओं से जुड़ी थी, क्योंकि इसके द्वारा उनका छोटा भाई अपने फिल्मी करियर की शुरुआत कर रहा था।
पहली फिल्म ने रचा इतिहास
यश चोपड़ा के लिए सीनियर चोपड़ा ने राजकुमार जैसे बड़े स्टार से भी पंगा मोल ले लिया। ‘धूल का फूल’ की सफलता में कोई कोर-कसर बाकी न रहे इसलिए बीआर चोपड़ा ने राजकुमार जैसे स्टार को मुहमांगी कीमत पर साइन किया। चूंकि यश चोपड़ा नए थे ,इसीलिए राजकुमार ने बीआर पर दबाव डाला कि उन्हें शूटिंग के समय हमेशा सेट पर मौजूद रहना होगा। यश चोपड़ा को जब यह बात मालूम पड़ी तो उन्होंने बीआर चोपड़ा से कहकर राजकुमार को फिल्म से चलता कर अशोक कुमार को ले लिया। समस्त चुनौतियों को स्वीकार करते हुए उन्होंने यह फिल्म पूरी की। ‘धूल का फूल’ ने सफलता का जो इतिहास रचा वह एक अलग कहानी है। ‘धूल का फूल’ के साथ यश चोपड़ा इंडस्ट्री में स्थापित हो गए। बीआर चोपड़ा खुश थे कि उन्होंने छोटे भाई के प्रति अपना फर्ज किया।
भाई के साथ निजी रिश्तों में पड़ गई दरार
साल 1951 में जब यश अपने बड़े भाई से मिलने मुंबई आ रहे थे तो उनकी मां ने बीआर के लिए एक संदेश भी भेजा था, कि इसे अपने से भी बड़ा आदमी बनाना और ‘धूल का फूल’ जैसी हिट फिल्म बनाकर बीआर चोपड़ा ने यश चोपड़ा को सचमुच बड़ा आदमी बना दिया। लेकिन इसी बड़े आदमी ने शादी के बाद अपनी अलग राह पकड़कर उन्हें इतना बड़ा झटका दिया कि उन्होंने छह महीने तक बिस्तर ही पकड़ लिया। बीआर का सदमा इतना बड़ा था की तीन दिनों तक बिना खाए-पीए वे बिस्तर पर पड़े रहे, जिसके कारण उनका स्वास्थ तेजी से गिरने लगा। डॉक्टर की सलाह पर उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया। इलाज के बाद बीआर स्वस्थ तो हो गए, लेकिन उनके निजी रिश्तों में हमेशा के लिए दरार पड़ गई।
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