नई दिल्ली: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने सोमवार को भारतीय राष्ट्रीय विकास समावेशी गठबंधन (इंडिया) के बारे में तीखे खुलासे किए। साथ ही उन्होंने विपक्षी गठबंधन पर कट्टरता में शामिल होने का भी आरोप लगाया। ओवेसी ने सोमवार को आरोप लगाया कि इंडिया ब्लॉक ने उन्हें यह तर्क देकर ‘टिकट’ नहीं दिया कि ‘उन्हें हिंदू वोट नहीं मिलेगा’।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, दिल्ली में एक सम्मेलन में बात करते हुए ओवैसी ने बताया कि पार्टी 2024 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का विरोध करने के लिए भारत गठबंधन में शामिल क्यों नहीं हुई। इस पर बोलते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ”हम इंडिया अलायंस में नहीं हैं और मुझे इसकी परवाह नहीं है। वहां दम घुटेगा। वे (विपक्षी गठबंधन) अपनी विचारधारा पर बीजेपी के खिलाफ क्यों नहीं खड़े हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर वे हमें टिकट देंगे तो उन्हें हिंदू वोट नहीं मिलेगा। ये मैं खुलेआम कह रहा हूं, ये बंद दीवारों के पीछे कहते हैं।”
#WATCH | Delhi: AIMIM Chief Asaduddin Owaisi says, “…We are not in the INDIA Alliance and I don’t care about it… It would be suffocating there. Why are they not standing up against the BJP on their ideology… They told that if they give us a ticket, they won’t get a Hindu… pic.twitter.com/UO9ZLRDb87
— ANI (@ANI) September 18, 2023
मुस्लिम लीग ने राहुल गांधी को डूबने से बचाया
उन्होंने कहा, “राहुल गांधी अमेठी में हार गए लेकिन वायनाड में जीत गए। असदुद्दीन औवेसी ने वहां चुनाव नहीं लड़ा। वहां मेरी बीजेपी के साथ कोई डील नहीं हुई। वे वायनाड से जीते क्योंकि वहां मुस्लिम लीग है। मुस्लिम लीग ने उन्हें डूबने से बचाया।”
मुसलमानों को चुनाव में भाग लेना चाहिए
एआईएमआईएम अध्यक्ष ने कहा, “मेरा रुझान इस बात को स्वीकार नहीं करता है कि मुसलमानों को चुनाव नहीं लड़ना चाहिए। मुझे लगता है कि मुसलमानों को चुनाव में भाग लेना चाहिए। जब तक आप लड़ेंगे नहीं तब तक आप जीत नहीं पाएंगे। अगर आप हार भी जाते हैं तो भी चुनाव में खड़ा होना जरूरी है।”
मुसलमानों के लिए माहौल शुरू से ही ख़राब
उन्होंने कहा, “अगर आप हार के डर से चुनाव नहीं लड़ेंगे तो आप कभी नहीं जीत पाएंगे। जीतने से पहले आपको दो या तीन बार हारना जरूरी है। मुसलमानों के खिलाफ सांप्रदायिक राजनीति 1950 से ही चल रही है, इसकी शुरुआत 2014 में नहीं हुई थी। मुसलमानों के लिए माहौल शुरू से ही ख़राब रहा है।”