सीमा कुमारी

नई दिल्ली: देशभर में गणेशोत्सव की धूम शुरु हो चुकी है। इस बार 19 सितंबर 2023 से शुरू हो रहा है। गणेश उत्सव पूरे 10 दिनों तक चलते हुए 28 सितंबर को समाप्त होगा। वैसे तो, ‘गणेश उत्सव’ (Ganesh Chaturthi 2023) पूरे देश में बड़ी ही धूमधाम एवं हर्षोल्लास से मनाया जाता है, लेकिन, महाराष्ट्र में इसकी अलग ही रौनक देखते को मिलती है। ‘लालबाग का राजा’ (Lalbaugcha raja) मुंबई का सबसे अधिक लोकप्रिय सार्वजनिक गणेश मंडल है। देश ही नहीं विदेश से भक्त यहां बप्पा के दर्शनों के लिए आते हैं। आम लोगों के साथ-साथ कई सेलिब्रिटी भी यहां शीश झुकाने आते हैं। लेकिन, लालबागचा मंदिर में ऐसा क्या खास है जिसके कारण भक्त यहां नतमस्तक होने आते हैं। आइए जानें इस बारे में –

जानकारों के अनुसार, लाल बाग के राजा सार्वजनिक गणेश उत्सव मंडल की स्थापना वर्ष 1934 में चिंचपोकली में हुई थी। यह मुंबई के लालबाग, परेल इलाके में स्थित हैं। मंडल का गठन उस युग में हुआ जब देश में स्वतंत्रता संघर्ष अपने पूरे चरम पर था। इस पांडाल की भव्यता देखकर उस समय भी सभी की नजरें लालबाग के राजा पर ही होती थी। देश आजाद होने के बाद इसकी भव्यता और भी बढ़ती गई। धीरे-धीरे इसकी प्रसिद्धि पूरे देश में फैल गई।

लंबे समय से बप्पा की मूर्ति कांबली परिवार के सदस्य बना रहे हैं। पिछले 8 सालों से कांबली परिवार ही लाल बाग के राजा की मूर्ति बना रहा हैं। 20 फूट ऊंची गणपति की प्रतिमा बनाने का यह हुनर इनकी दूसरी पीढ़ी तक पहुंच गया है। फिलहाल परिवार की तीसरी पीढ़ी प्रतिमा बना रही हैं। यह परिवार पिछले 89 सालों से अपने हाथों से भगवान गणेश की प्रतिमा बना रहा है।

मान्यता है कि लाल बाग के राजा से जो भी मनोकामना मांगी जाती है, वो जरूर पूरी होती है। इसलिए इन्हें मन्नतों का गणेश भी कहते हैं। यही कारण है कि, गणेश उत्सव के दौरान भक्त यहां कई घंटों तक दर्शन के लिए लंबी कतारों में लगते रहे हैं। दर्शन की ये कतारें कई किलोमीटर लंबी होती हैं। लेकिन, इसके बाद भी भक्तों का विश्वास कम नहीं होता।

जानकारों का मानना है कि, लालबागचा मंडल सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक कामों में भी आगे है। ये मंडल चैरिटी के माध्यम से अनेक लोगों की मदद भी करता है। इस मंडल के अपने कई अस्पताल और एंबुलेंस हैं जहां गरीब लोगों का उपचार मुफ्त किया जाता है। इसके अलावा, देश में जब भी कोई प्राकृतिक आपदा आती है तो लालबागचा मंडल खुले दिल से आर्थिक सहायता भी कहता है। यही कारण है कि लोग भी यहां खुले हाथों से दान करते हैं।





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