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Hartalika Teej

File Photo

सीमा कुमारी

नई दिल्ली: महिलाओं के अखंड सौभाग्य का व्रत ‘हरतालिका तीज’ (Hartalika Teej 2023) इस वर्ष 18 सितंबर, सोमवार को मनाई जाएगी। वैसे तो साल में 3 बार तीज का व्रत रखा जाता है। हरियाली तीज, ‘हरतालिका तीज’ और कजरी तीज। ये तीनों व्रत पति की लंबी उम्र, संतान की उन्नति और परिवार की खुशहाली के लिए रखे जाते हैं। हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को ‘हरतालिका तीज’ (Hartalika Teej) का व्रत रखा जाता है।

करवा चौथ की तरह ही यह व्रत भी बहुत कठिन माना जाता है। इस दिन महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं। ‘हरतालिका तीज’ का व्रत रखने वाली महिलाएं करवा चौथ की ही तरह शाम को चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं।

सुहागिन महिलाओं के द्वारा अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखा जाता है। वहीं कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर की कामना के साथ इस व्रत को रखती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है और पति-पत्नी के बीच आपसी प्रेम बढ़ता है। ऐसे में आइए जानें ‘हरतालिका तीज’ की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसकी महिमा।

तिथि

भाद्रपद का महीना 31 अगस्त 2023 से शुरू होगा. इस माह में हरतालिका तीज 18 सितंबर 2023 को है। ‘हरतालिका तीज’ व्रत के अगले दिन गणेश चतुर्थी होती है, इस दिन से 10 दिन का गणेश उत्सव शुरू हो जाता है।

शुभ मुहूर्त  

पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 17 सितंबर 2023 को सुबह 11 बजकर 08 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 18 सितंबर 2023 को 12 बजकर 39 मिनट पर खत्म होगी। मान्यता अनुसार, ‘हरतालिका तीज’ की पूजा सुबह, प्रदोष काल या फिर रात्रि के चारों प्रहर में भी की जाती है।

हरतालिका तीज मुहूर्त – सुबह 6.07 – सुबह 8.34 (18 सितंबर 2023)

प्रदोष काल मुहूर्त – शाम 6.23 – 6.47

पूजा विधि

हरतालिका तीज व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान आदि के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें। फिर बाद में शुभ मुहूर्त के समय हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प करने के बाद पूजा आरंभ करें। इस दिन माता पार्वती और शिव जी के साथ उनके पुत्र गणेश की पूजा भी की जाती है।

माता पार्वती, भगवान शिव शंकर और गणेश जी की मिट्टी की प्रतिमाएं बनाएं। इसके बाद एक चौकी पर स्थापित करें। माता पार्वती को अक्षत, चुनरी, फूल, फल, धूप दीप आदि अर्पित करें। वहीं शिव जी को सफेद चंदन, बिल्वपत्र, भांग, धतूरा आदि अर्पित करें, भगवान शिव को सफेद फूल अर्पित करने चाहिए।

भगवान शिव की पूजा करते समय ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। उसके बाद शिव, पार्वती गणेश जी को भोग लगाएं। मां पार्वती का पूजन करते समय ॐ उमायै नम: मंत्र का जाप करें। इसके बाद कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना करें।

हरतालिका तीज व्रत की महिमा

हरतालिका तीज ‘हरत’ और ‘आलिका’ शब्द से मिलकर बना है। हरत, यानी हरण और आलिका मतलब सहेली। ‘हरतालिका तीज’ की कथा के अनुसार, पार्वती जी की सहेलियां उनका अपहरण कर उन्हें घने जंगल में ले गई थीं, ताकि पार्वती जी की इच्छा के विरुद्ध उनके पिता उनका विवाह भगवान विष्णु से न कर दें। यहां उन्होंने ‘हरतालिका तीज’ का निर्जला व्रत रखा, रात्रि जागरण कर शिव की भक्ति में लीन रही थीं। इसके परिणाम स्वरूप उन्हें शिव जी पति के रूप में मिले, इसलिए सुहागनें भी पति की दीर्घायु के लिए इस दिन बिना पानी का व्रत रखती हैं और रात्रि जागरण कर शिव-पार्वती की पूजा करती हैं।  ये व्रत करवा चौथ के समान फलदायी माना गया है।



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