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Ayodhya's Ram katha Museum's to provide complete information on Ram Mandir Movement

नई दिल्ली: राम मंदिर निर्माण समिति (Ram Mandir Construction Committee) के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा (Nripendra Mishra) ने कहा है कि, अयोध्या में सरयू तट पर स्थित अंतरराष्‍ट्रीय रामकथा संग्रहालय (International Ram katha Museum) में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट (Shree Ram Janmabhumi Teerth Shetra Trust) की ओर से ना सिर्फ खुदाई के दौरान मिली मूर्तियों व अवशेषों को दर्शाया जाएगा बल्कि इस आंदोलन की कानूनी, राजनीतिक और धार्मिक यात्रा का विवरण प्रस्तुत करने वाला एक विशेष प्रकोष्ठ भी बनाया जाएगा।

‘पीटीआई-वीडियो’ को दिए एक विशेष साक्षात्कार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) के प्रधान सचिव रहे मिश्रा ने बताया कि संग्रहालय श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को लीज पर मिल गया है और इसमें काम शुरू किया जा रहा है। मिश्रा ने कहा, “कुछ चीजें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की खुदाई के दौरान मिलीं और कुछ मंदिर निर्माण कार्य के लिए की गई खुदाई के दौरान मिलीं। उन्हें बहुत ही सुरक्षित तरीके से… कुछ तो न्यायालय के आदेशों से सुरक्षित रखा गया है और कुछ ट्रस्ट के पास सुरक्षित रखा गया है।”

उन्होंने कहा कि एएसआई (ASI) से अनुमति लेकर इन सभी मूर्तियों व अवशेषों को संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाएगा। उन्होंने कहा, “संग्रहालय में अलग-अलग प्रकोष्ठ होंगे। एक प्रकोष्ठ ऐसा होगा, जिसमें कौन-कौन सी चीजें खुदाई और निर्माण कार्य के दौरान मिलीं, उन्हें रखा जाएगा। एक दूसरा प्रकोष्ठ होगा, जिसमें 500 से भी अधिक वर्षों की उस लंबी कानूनी, राजनीतिक और धार्मिक यात्रा का विवरण प्रस्तुत किया जाएगा जिसका पटाक्षेप 2019 में उच्चतम न्यायालय के फैसले से हुआ।”

नवंबर 2019 में उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में फैसला देते हुए केंद्र सरकार को निर्देशित किया था कि वह तीन माह के भीतर मंदिर निर्माण के लिए एक न्यास की स्थापना करे। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 फरवरी 2020 को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास की घोषणा की। मिश्रा न्यास के सदस्य होने के साथ ही मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष भी हैं।

मिश्रा ने बताया कि संग्रहालय के एक प्रकोष्ठ में राम वन गमन व विभिन्न भाषाओं की राम कथाओं का विवरण होगा और एक अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रकोष्ठ में राम के अंतरराष्ट्रीय महत्व से जुड़ी गाथाओं को दर्शाया जाएगा।

उन्होंने बताया कि पहले इरादा था कि मंदिर परिसर में ही एक संग्रहालय बनाया जाए लेकिन इससे बाद में समस्या हो सकती थी। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट ने देखा कि एक बहुत अच्छा संग्रहालय राज्य सरकार के पास उपलब्ध है और वह उसे मिल जाए तो दोनों की अपेक्षाओं की पूर्ति हो सकेगी।  

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मिश्रा ने बताया, ‘‘राज्य सरकार ने संग्रहालय दे दिया है। इसमें कार्य शुरू किया जा रहा है।” पहले मंदिर ट्रस्ट की योजना में मंदिर परिसर में ही श्रीराम से जुड़ी और मंदिर परिसर की नींव की खुदाई में निकले दुर्लभ पुरावशेषों के संग्रह के लिए संग्रहालय का निर्माण प्रस्तावित था।

उच्चतम न्यायालय ने 2019 में राम मंदिर के साथ ही सुन्नी वक्फ बोर्ड (Sunni Waqf Board) को मस्जिद के निर्माण के लिए अयोध्या में ही किसी दूसरे स्थान पर पांच एकड़ का भूखंड आवंटित किए जाने का फैसला किया था।

मिश्रा से जब यह पूछा गया कि मंदिर निर्माण का पहला चरण पूरा होने की दिशा में है लेकिन मस्जिद निर्माण (Mosque Construction) का काम अभी भी शुरू नहीं हो सका है, तो उन्होंने कहा कि मंदिर और मस्जिद निर्माण का काम ‘दो अलग-अलग संस्थाएं देख रही हैं और दोनों में राज्य व केंद्र सरकार (Central Government) का हस्तक्षेप नहीं है’। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट मंदिर निर्माण का कार्य कर रहा है और इसी प्रकार का एक संगठन है जो कि एक मस्जिद और उससे संबंधित योजनाओं पर काम कर रहा है।

उन्होंने कहा, “मैंने भी अखबारों में पढ़ा था कि नियमों के अनुपालन में या नक्शे पास कराने में कुछ विलंब हो रहा है। अभी मुझे अनौपचारिक जानकारी मिली है कि किसी प्रकार की बाधा नहीं है। और वह कुछ समय में निर्माण कार्य शुरु करेंगे।” (एजेंसी)



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