चीन जिस तरह से ताइवान को घेर रहा है और उसके चारों तरफ घेराव कर सैन्य अभ्यास कर रहा है कहीं ना कहीं ये सब करके वो ताइवान पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है ऐसा दवाब जिससे ताइवान को लगे की चीन कभी भी उसपर कब्ज़ा कर सकता है । हाल में ही चल रही चीन की जंगी अभ्यास का समयसीमा भी बढ़ा कर १७ अगस्त कर दिया गया है।
चीन की इस हरकत ने उसे एशियाई देशों की नज़रों से गिरा दिया है । अब धीरे धीरे श्रीलंका और पाकिस्तान को छोड़कर दूसरे देश भी चीन की खिलाफत के लिए कमर कस रहे हैं । श्रीलंका और पाकिस्तान की मजबूरी है क्यूंकि दोनों ही देश बुरी तरह से चीन के क़र्ज़ के बोझ तले दबे हुए हैं । अब बात करें भारत की तो चीन ने अपना एक जासूसी जहाज भारतीय सीमा में भेज भारत पर दवाब बनाने की कोशिश की थी लेकिन उसे मजबूरन वापस लौटना पड़ा। अगले ही दिन अमेरिका का एक जंगी बड़ा मरम्मत के लिए भारतीय बंदरगाह के पास आ कर खड़ा हो गया । हालाँकि वो रिपेयर के काम के लिए आया है लेकिन अमेरिका जैसा देश अपने जंगी जहाज को क्यों ही भारत भेजेगा। चीन पर दवाब बनाने के लिए अमेरिका और भारत की एक कूटनीतिक चाल मानी जा रही है ।
यही नहीं चीन की अर्थव्यवस्था को भी इस वक़्त बड़ा झटका भारतीय सरकार देने जा रही है । क्यूंकि जितने भी स्मार्टफोन कंपनी है चीन की वो सब कहीं न कहीं टैक्स चोरी की वजह से सरकार के राडार पर है जिसकी वजह से ऐसी कंपनियों को बोरियां बिस्तर जल्द ही बंधवाकर चीन भेजने की तयारी है । चीनी स्मार्टफोन का भारत एक बहुत बड़ा बाज़ार है जिससे सीधे तौर पर उसे धक्का लगने वाला है ।
बात करें अमेरिका भारत युद्ध अभ्यास की तो पहाड़ों पर दोनों देशों की सेनाएं मौजूद है जो जल्द ही अपना अभ्यास शुरू करेंगी । चीन की चतुराई को मुहतोड़ जवाब देने के लिए एक तरह से ऐसे समय दोनों देशों की सेनाओ का अभ्यास करना बहुत अहम् है । क्यूंकि चीन जिस तरह से ताइवान पर अधिकार ज़माने के लिए कोशिश कर रहा है ऐसे में जंग की हालत में सीधे तौर पर अमेरिका यहाँ से चीन पर निशाना लगा सकता है । हालाँकि भारत इस युद्ध में उतरेगा या नहीं ये तो वक़्त ही बताएगा लेकिन एक्सपर्ट्स के मुताबिक भारत कभी ही सीधे तौर पर जंग में शामिल नहीं होगा ।

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